The Greatest Guide To Shodashi

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ज्येष्ठाङ्गबाहुहृत्कण्ठकटिपादनिवासिनीम् ॥७॥

सा नित्यं रोगशान्त्यै प्रभवतु ललिताधीश्वरी चित्प्रकाशा ॥८॥

आस्थायास्त्र-वरोल्लसत्-कर-पयोजाताभिरध्यासितम् ।

Worshippers of Shodashi seek out not just substance prosperity but in addition spiritual liberation. Her grace is said to bestow both worldly pleasures plus the usually means to transcend them.

साशङ्कं साश्रुपातं सविनयकरुणं याचिता कामपत्न्या ।

This mantra holds the facility to elevate the thoughts, purify views, and connect devotees to their increased selves. Allow me to share the in depth advantages of chanting the Mahavidya Shodashi Mantra.

पुष्पाधिवास विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि

Goddess Shodashi has a third eye to the forehead. She's clad in red costume and richly bejeweled. She sits over a lotus seat laid with a golden throne. She's shown with four arms where she retains 5 arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane to be a bow.

ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥

ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी

Gaining the attention of  Shodashi, kinds ideas to Other people turn out to be a lot more favourable, considerably less essential.  Types associations morph into a detail of great elegance; a issue of sweetness. This is actually the that means of the sugarcane bow which she carries normally.

The philosophical Proportions of Tripura Sundari lengthen outside of her physical characteristics. She signifies the transformative energy of splendor, which can lead the devotee with the darkness of ignorance to the light of knowledge and enlightenment.

भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।

यह more info साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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